
अगले दिन से वह लड़का रोज दुकान पर जाने लगा और वहां हीरों की परख का काम सीखने लगा। एक दिन वह बड़ा पारखी बन गया। लोग दूर-दूर से अपने हीरे की परख कराने आने लगे। एक दिन उसके चाचा ने कहा, 'बेटा अपनी मां से वह हार लेकर आना और कहना कि अब बाजार बहुत तेज है, उसके अच्छे दाम मिल जाएंगे।' मां से हार लेकर उसने परखा तो पाया कि वह तो नकली है। वह उसे घर पर ही छोड़ कर दुकान लौट आया।
चाचा ने पूछा, 'हार नहीं लाए?' उसने कहा, 'वह तो नकली था।' तब चाचा ने कहा, 'जब तुम पहली बार हार लेकर थे, तब मैं उसे नकली बता देता तो तुम सोचते कि आज हम पर बुरा वक्त आया तो चाचा हमारी चीज को भी नकली बताने लगे। आज जब तुम्हें खुद ज्ञान हो गया तो पता चल गया कि हार सचमुच नकली है। सच यह है कि ज्ञान के बिना इस संसार में हम जो भी सोचते, देखते और जानते हैं, सब गलत है।'
दोस्तों जरुरी नहीं की जो हम देखते है वो सच हो ! अगर हम दुखी हैं या अभावग्रस्त हैं, तो इसका एक ही कारण है अज्ञानता. अज्ञान के कारण ही डर है. किसी ने सच ही कहा है कि समझदारी, समझदार बनने से नहीं, बल्कि जिम्मेदार बनने से आती है.
बात पते की..
- जब भी कोई आपका साथ न दे, तो उसे तुरंत दोष देना शुरू न कर दें. हो सकता है कि वह सच बोल रहा हो. उसका पक्ष जानने की कोशिश करें.
- जिस क्षेत्र में आप काम करते हैं, उससे जुड़ी हर बात को जानने-समझने की कोशिश करें, ताकि कोई आपको बेवकूफ न बना सके. अपना ज्ञान बढ़ाएं.
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